✍بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
उस ज़माने में सहाबा किराम मुनाफिकाें आैर माेमिनाें की पहचान इस तरह किया करते थे कि जिसके चेहरे पर हज़रत माैला अली अलैहिस्सलाम के नाम से मराेड़ व सिकुड़न आ जाये 😏 ताे वाे मुनाफिक़ है और जिसका चेहरा हज़रत माैला अ़ली अलैहिस्सलाम के नाम से खुशी आैर मशर्रत से खिल उठे 😊 वाे मोमिन है
✍🏻 हज़रत माैला अ़ली अलैहिस्सलाम से रिवायत है
हुजूर अलैहिस्सलाम ने मुझसे अहद फरमाया कि तुझसे मोमिन ही मुहब्बत करेगा आैर तुझसे बुग्ज़ रखने वाला मुनाफि़क़ ही हाेगा ।
📚 इब्ने माजा -1/72
📚 तिर्मिज़ी -2/718
✍🏻 हज़रत उम्मे सलमा (रज़िअल्लाहु तआला अन्हा) फरमातीं हैं
हुजूर अलैहिस्सलाम फरमाया करते थे कि किसी मुनाफिक़ की हज़रत माैला अ़ली से मुहब्बत नहीं हाे सकती आैर काेई मोमिन हज़रत माैला अ़ली से बुग्ज़ नहीं रख सकता ।
📚 तिर्मिज़ी -2/712