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بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

जवाब – फ़रिश्ते लतीफ जिस्म रखते हैं नूर से पैदा किये गऐ हैं उनको अल्लाह तआला ने यह कुदरत दी है कि जो शक़्ल चाहें इख्तियार करले
(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9)
सवाल – फ़रिश्ते मर्द हैं या औरत?
जवाब – न मर्द हैं न औरत
(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9)
सवाल – क्या फ़रिशतों की पैदाइश आदमियों की तरह है?
जवाब – नहीं बल्कि फ़रिश्ते लफ्जे”कुन”से पैदा किये गऐ हैं
(आलहिदायतुल मुबारकह सफ़्हा 4)
सवाल – फ़रिश्तों की तादाद कितनी है?
जवाब – सही तादाद तो अल्लाह व रसूल जानें अल्बत्ता हदीस शरीफ में है कि आसमान व ज़मीन में कोई एक बालिशत जगह खाली नहीं जहाँ फ़रिश्तों ने सजदे में पेशानी न रखी हो ज़मीन से सिदरतुल मुन्तहा तक पचास हजार साल की राह है उसके आगे मुस्तवी उसकी दूरी खुदा जाने,इससे आगे अरशे आज़म के सत्तर परदे हैं हर हिजाब(परदे)से दूसरे हिजाब तक पाँच सौ बरस का फासला है और उससे आगे अर्श इन तमाम वुसअतों(ख़ाली मकाम)में फ़रिश्ते भरे हैं
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 26/अलमलफूज जिल्द 4 सफ़्हा 9)
सवाल – सारी मख़लूकात में किस की तादात ज्यादा है?
जवाब – फ़रिश्तों की तादाद ज्यादा है हदीस शरीफ में है कि अगर सारी मख़लूकात को दस हिस्सो में तकसीम किया जाए तो नौ हिस्से फ़रिश्तों के हैं और एक हिस्सा सारी मख़लूकात का
(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9/तफसीर जुमल जिल्द 4 सफ़्हा 534)
सवाल – क्या सब फ़रिश्ते एक ही बार में पैदा हो गऐ या उनकी पैदाइश का सिलसिला जारी है?
जवाब – पैदाइश का सिलसिला जारी है हदीस शरीफ में है कि अर्श की दाहनी तरफ नूर की एक नहर है सातों आसमान और सातों ज़मीन और सातों समुन्दरों के बराबर है इसमें हर सुबह हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम नहाते है जिससे उनके नूर पर नूर और जमाल पर जमाल बढ़ता है फिर जब आप पर झाड़ते हैं तो जो बूंद गिरती है तो अल्लाह तआला उस से उतने-उतने हजार फ़रिश्ते बनाता है दूसरी हदीस में है कि चौथे आसमान में एक नहर है जिसे नहरे हयात कहते हैं हजरत जिब्राईल हर रोज़ उसमें नहाकर पर झाड़ते हैं जिससे सत्तर हजार कतरे झड़ते हैं और अल्लाह तआला हर कतरे से एक-एक फ़रिश्ता पैदा करता है।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 26/अलहिदायतुल मुबारकाह सफ़्हा 9)
सवाल – क्या इसके इलावह कोई और भी सूरत है जिससे फ़रिशते पैदा होते हैं?
जवाब – हाँ एक फ़रिश्ता और है जिसका नाम रूह है यह फ़रिश्ता आसमान और ज़मीन और पहाड़ो से बड़ा है क़यामत के दिन तमाम फ़रिश्ते एक सफ़ में खड़े होंगे और यह फ़रिश्ता तन्हा एक सफ़ में खड़ा होगा तो इन सब के बराबर होगा यह फ़रिश्ता चौथे आसमान में हर रोज बारह हजार तसबीहें पढ़ता है और हर तसवीह से एक फ़रिश्ता बनता है,दुसरी हदीस शरीफ में है कि रूह एक फ़रिश्ता है जिसके सत्तर हजार सर हैं और हर सर में सत्तर हजार चहरे और हर चहरे में सत्तर हजार मूँह और हर मूँह में सत्तर हजार जुबानें और हर जुबान में सत्तर हजार लुगत यह उन सब लुगतों से अल्लाह तआला की तसबीह करता है और हर तसबीह से अल्लाह तआला एक फ़रिश्ता पैदा करता है(अल्लाहुअकबर)इसी तरह हदीस शरीफ में है कि हमारे आका हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम ने फरमाया जो मुझ पर मेरे हक़ की ताजीम के लिए दुरूद भेजे अल्लाह तआला उस दुरूद से एक फ़रिश्ता पैदा करता है जिसका एक पर पूरब और एक पशिचम में होता है अल्लाह तआला उस से फरमाता है दुरूद भेज मेरे बन्दे पर जैसे उसने मेरे नबी पर दुरूद भेजा पस वह फ़रिश्ता क़यामत तक उस पर दुरूद भेजता रहेगा इसी तरह नेक कलाम अच्छा काम फ़रिश्ता बनकर आसमान की तरफ़ बुलन्द होता है
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 4 सफ़्हा 148वजिल्द 7 सफ़्हा 169/उम्दतुल क़ारी जिल्द 9 सफ़्हा 16/अलहिदायतुल मुबारकाह सफ़्हा 6व11)
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