हज़रते इमाम ज़ैनुल आबेदीन रदियल्लाहो तआला अन्हो और पाक बीबियां दमिश्क से वापस हुए तो

हज़रत नोमान इब्ने बसीर के साथ काफले को भेजा गया यज़ीद ने 3 शर्त में से 2 शर्त मंज़ूर की और उसके मुताबिक बीबी फातिमा ज़हरा की पाक चादर और शहीदों के सर को इमामे जैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को सौंपे अहलेबैयत दमिश्क से करबला में आये सैयदा बीबी ज़ैनबे कुबरा सलामुल्लाह अलयहा कौनसी कब्र किसकी है जानती थी मोरर्रेखीन लिखते है के वो मंज़र इतना दर्दनाक था के उश मंज़र को किखने की हिम्मत कलममें न थी करीबी एक कबीला था बनु असद ईस कबिले ने शौहदा ए किराम को मदफन किये थे और हज़रते इमाम ज़ैनुल आबेदीन इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम के सर मुबारक को मदीना शरीफ लेकर आये और जनाबे बीबी फातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के पहलू में मदफन किया (एक रिवायत में है के यज़ीद के दरबार के करीब ही सर मुबारक को मदफन किया गया लेकिन ये रिवायत ज़ईफ़ है)

इमामे ज़ैनुल आबेदीन रदियल्लाहो तआला अन्हो फिर कभी मदीने से बहार न गए पूरी ज़िंदगी आपने मदीने में गुज़ारी। हज़रते इमाम जाफर सादिक रदियल्लाहो अन्हो फरमाते है के जब इमाम ज़ैनुल आबेदीन रदियल्लाहो अन्हो को प्यास लगती और पानी पीने लगते तो घंटो तक आप रोते और पानी पी नही पाते थे गुलाम अर्ज़ करते सरकार पानी तो पी ले ब मुश्किल आप पानी पीते और फरमाते जब भी पानी का प्याला मेरे सामने आता है तो बाबा हुसैन की प्यास याद आजाती है अली असगर का सूखा गला याद आजाता है।
😪 तू ज़िंदा है वल्लाह तू ज़िंदा है वल्लाह मेरी चश्मे आलम से चुप जाने वाले 🙏