*हजरत ए मौला ए कायनात हजरत अली कर्मअल्लाहु तआला व वजहुल अलैहिस्सलाम की शान का वाक्या गदीर-ए-खुम का जिसको लौग ईद-ए-गदीर के नाम से जानते हैं*
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यह वाक्या है नवी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम की बसीयत का मौला अली मुश्किल कुशा बाबा को मौला के खिताब का
आज 1400 साल पहले 10 हिजरी में हमारे नवी सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम ने ऐलान करबाया
इस मर्तबा जो भी हज करने चले तो मेरे साथ चले इस मर्तबा हम भी आप सब के साथ हज करने चलेंगे
जब लौगो ने सुना इस साल नवी करीम सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम के साथ हज करने का मौका है तो ज्यादतर लौग तैयार हो गये
तमाम लौग अपने अहलोअयाल के साथ तैयार हो गये
तारीख में लिखा है की उस साल हज के लिए एक लाख बीस हजार लौग मक्का मे हज करने के लिए जमा हुये थे
इससे पहले इतनी कसीर तादाद में किसी ने हज नही किया था
जब नवी करीम सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम और तमाम असहाब हज करके मक्का से मदीने रबाना हुये और गदीर ए खुम तक पहुंचे
खुदा ए पाक ने फरमाया ए मेरे महबूब दे दो वो पैगाम जो लाजिम है उम्मत पर
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम ने मुखातिब होकर फरमाया ए लौगो रूक जाऔ और जो आगे निकल गये उनको बापस बुलाऔ और जो पीछे हैं उनका इन्तज़ार करो
क्योंकि अल्लाह की मर्जी है कि मै यहाँ एक खुतबा दूं
बादी ए गदीर एक मरकज था जो मक्का से मदीने के बीच मे जो मदीने की तरफ जाने बाले थे चले जाते थे और कुछ गाँव की ओर जाते एक मैदान था
इसीलिए अल्लाह ताआला ने इसी मैदान को इन्तखाब किया
असहाब ने कहा या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम आप खुतबा कहाँ से देगें ऐसी सहरा में हम मिम्बर कहाँ से बनायें
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम ने फरमाया
अपने ऊँटों से पालान उतारो और पालान से एक मिम्बर बनाऔ क्योंकि आज का पैगाम हक और बातिल की पहचान का है
ऊँटों के पालान से मिम्बर तैयार हुआ
और तमाम असहाब आ पहुंचे फिर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम मिम्बर पर जल्वा अफरोज हुये
और फरमाया
ए लोगो मैं वो मुहम्मद हूँ जिसको अल्लाह ने मुन्तखिब किया
ताकि मै तुमको अल्लाह का दीन समझा सकूं और हलाल हराम का फर्क बता सकूँ
और अल्लाह की किताब कुरआन पाक तुम तक पहुंचा सकूँ
लेकिन अनकरीब मैं तुम्हारे साथ नही रहूँगा मेरा पैगाम रहेगा लेकिन तुम मुझे अपनी नजरों से देख न सकोगे
सारे असहाबों मे गम का माहौल हो गया सभी रोने लगे
फिर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम ने फरमाया अगर तुम चाहते हो की रोजे महशर मुझसे मिलो तो दो चीजें कभी मत छोड़ना
एक अल्लाह की किताब कुरआन पाक
एक मेरी अहलेबैत
कभी इन से जुदा मत होना अगर जुदा हुए तो गुमराह हो जाऔगे
अगर तुमने कुरआन और अहलेबैत को अपने साथ रखा तो हौज ए कौसर पर मुझसे आकर मिलोगे और मैं मुहम्मद तुम्हारी सफाअत करूँगा
फिर आपने इमाम अली अलैहिस्सलाम को मिम्बर पर बुलाया
और तमाम लोगों से मुताखिब होकर फरमाया आप सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम फरमाने लगे बताऔ मैं किस किस का मौला हूँ
हर कोई अपना हाथ उठाकर कहने लगा
या रसूलुल्लाह आप हमारे मौला हैं
या रसूलुल्लाह आप हमारे मौला हैं
फिर आपने हजरत इमाम अली इब्ने अवुतालिब अलैहिस्सलाम का हाँथ बुलन्द करके फरमाया
*मन कुन्तो मौला व फहाजा अलीयुन मौला*
जिस जिस का मैं मौला हूँ उस उस का इये अली मौला हैं
जैसे ही असहाब ने यह सुना सभी अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर की सदा बुलन्द करने लगे
उसके बाद आप सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम ने दुआ के लिए हाँथ उठाये और फरमाया
या अल्लाह जो अली का दुशमन वो मेरा दुशमन और जो मेरा दुशमन वो अल्लाह का दुशमन
और जो इस अली का दोस्त वो मेरा दोस्त और जो मेरा दोस्त वो अल्लाह का दोस्त
ए अल्लाह उन पर नेमतें और बरकतें और रहमतें नाजिल फरमां जो अली से मौहब्बत करते हैं
तारीख में लिखा है फिर हर कोई इमाम अली अलैहिस्सलाम को मुबारकबाद देने लगा
सब कहने लगे ए मौला ए कायनात मौला अली मुबारक हो
गदीर के मैदान मे सभी आ रहे थे और मौला अली अलैहिस्सलाम को मुबारकबाद दे देकर जा रहे थे
सुब्हानआल्लाह
और इसी दिन को लौग ईद ए गदीर के नाम से याद करते हैं
गदीर ए खुम का वाक्या 18 जिलहिज को पेश आया था
यह दिन उम्मत का खुशी व
मुबारकबाद देने का दिन है
सिया हजरात खूब मनाते हैं पर उनकी गुस्ताखी और गलत यकीदे के बजह से सुन्नीयों में इख्तलाफ हुआ
दुसरी बात 18 जिलहिज को नवी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम के दामाद हजरत उसमान ए गनी रजिअल्लाहु तआला अन्हु की शाहदत हुई
इस बजय से सुन्नी हजरात दोनो बातों का ख्याल रखते हैं
आप सभी से मौहब्बताना गुजारिश है जब भी ईद ए गदीर का दिन आये तो मौला अली मुश्किल कुशा मौला अली अलैहिस्सलाम की मौहब्बत मे अकीदत में नजर औ नियाज जरूर पेश करें सरकार मौला अली अलैहिस्सलाम की बारगाह में
सुब्हानआल्लाह
नाजरीन इकराम यह है मेरे सरकार मौला अली मुश्किल कुशा मौला अली अलैहिस्सलाम की शान
नाजरीन इकराम यह हमेशा याद रखो मौला अली अलैहिस्सलाम और अहलेबैत ए पाक से मौहब्बत करो और कुरआन पाक से मौहब्बत करो
और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम के फरमान के खिलाफ भी मत जाऔ
जो आका ने फरमाया है उस पर ईमान रखो
मौला ए कायनात हजरत अली कर्मअल्लाहु तआला व वजहुल करीम अलैहिस्सलाम ताजदारे औलिया है जैसे नवीयों मे हमारे नवी सबसे अफजल इसी तरह वलीयों मे मौला अली ताजदारे औलिया है
यह बात भी याद रखो मौला की शान नाराली सभी आपके गुलाम है
हजरत अबु बकर हजरत उमर हजरत उसमान रजिअल्लाहु तआला अन्हु की शान व मकाम अपनी जगह है यह लौग रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम के दमाम व ससुर है
जिसने इनके शान मे गुस्ताखी की समझो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम के फरमान को ठुकरा दिया और ईमान से हाथ धो बैठा
या अल्लाह हम सभी को रसूल ए खुदा सल्लल्लाहो अलैहे व वस्सल्लम के सदके से अहलेबैत ए पाक से मौहब्बत करने और असहाब ए रसूल से मौहब्बत करने की तौफीक अता फरमा और अक्ल ए सलीम अता फरमा हसद और बुग्ज से निजात दे
मौहब्बत से रहने की तौफीक अता फरमा
आमीन
*पांच नारे पंजतन के*
*सवा लाख नारा हैदरी*
*या अली मौला अली मुश्किल कुशा मौला अली*
*📚ताजदारे औलिया*
*या हुसैन या वारिस अल मदद*
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