*💎हदीसः – रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः ” जब तुम में से कोई किसी औरत को निकाह का पैगाम दे तो अगर उसको देखना मुमकिन हो तो देख ले ।*
*_📚अबु दाऊद जिल्द 1 , पेज 284_*
*💎हदीस : – हज़रत मुगीरा बिन शोअबा से मरवी है , फरमाते हैं , मैंने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया , मुझ से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ” क्या तुमने उसे देख लिया है ? ” में ने कहा ” नहीं । ” फ़रमाया ” उसे देख लो कि देखना तुम्हारी आप की दाइमी मुहब्बत का ज़रिया है ।*
*_📚तिर्मिजी शरीफ़ जिल्द 1 , पेज 129_*
*💎हदीस : – हज़रत मुहम्मद बिन सल्लमा फरमाते हैं कि मैंने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया , मैं उसे देखने के लिए उसके बाग में छिप कर जाया करता था , यहाँ तक कि मैंने उसे देख लिया । ” किसी ने आपसे कहा ” आप ऐसा काम क्यों करते हैं ? हालांकि आप हुजूर सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम के सहाबी हैं ‘ मैंने उसे जवाब दिया कि हमने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इरशाद फ़रमाते सुना है : ” जब अल्लाह तआला किसी के दिल में किसी औरत से निकाह की ख्वाहिश डाले और वह उसे पैगामे निकाह दे तो उसकी जानिब देखने में कोई हरज नहीं ।*
*_इब्ने माजा पेज 134 )_*
*📚हदीस : – हज़रत आयशा रदियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम मेरी तस्वीर सुर्ख रेशम के कपड़े में लपेट कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास लेकर आये और आपसे फरमाया यह आपकी अहलिया हैं दुनिया और आख़िरत में ।*
*_📚तिर्मिजी शरीफ़ जिल्द 2 , पेज 226_*
_*📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफा 1920*_
*_📚करीना ए जिन्दगी सफह 39_*