ज़िना का बयान

✍🏻 ऐ मेरे नौजवानो !* ज़िना से बचो। आज पर्दो में छुप – छुप कर मुंह काला करते हो, कल क़यामत के दिन मालूम हो जाएगा कि अल्लाह का अज़ाब कितना सख्त है ? अल्लाह की सिफ़त जहाँ रहमान व सत्तार है वहीं उसकी सिफत कहहार व जब्बार भी है। जानी के लिए दुनिया में भी सज़ा है और आखिरत में भी। और जो शख्स ज़िना करे, उसे ‘आसाम’ में डाला जाएगा) ‘आसाग’ के मुतअल्लिक कहा गया है कि जहन्नुम की एक वादी है। बअज़ उलमा ने कहा है कि वह जहन्नम का एक गार है, जब उसका मुंह खोला जाएगा तो उसकी शदीद बदबू से जहन्नमी भी चीख उठेंगे।

*✍🏻 रिवायतः-* हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने रब्बे कायनात से जानी की सज़ा के बारे में पूछा तो रब तआला ने फ़रमायाः “मैं उसे आग की ज़िरह पहनाउंगा और वह ऐसी वज़नी है कि अगर बहुत बड़े पहाड़ पर रख दी जाए तो वह भी रेज़ा – रेज़ा हो जाए।”
*📙 (मुकाशिफतुल कुलूब पेज 168)*

✍🏻 *हदीस :-* हज़रते जिबरील व मीकाईल अलैहिमुस्सलाम हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ख़्वाब की हालत में अजाइबात की सैर कराने के लिए अपने हमराह ले आपने ख्वाब में एक तंनूर मुलाहिजा फरमाया जो ऊपर से तंग और नीचे से फैला हुआ था। उसके निचले हिस्से में आग जलती थी। कुछ नंगे मर्द और नंगी औरतें उसमें शोलों के साथ ऊपर आते थे और फिर नीचे गिरते थे। जब आग बलन्द होती थी तो ऐसा मालूम होता था कि ये लोग उस तनूर से निकल जाना चाहते हैं। फिर वह आग नीचे होती है तो ये लोग फिर नीचे चले जाते हैं। फ़रिश्तों ने बयान किया कि ये ज़िना करने वाले मर्द और औरतें आग के तनूर में कैद हैं। आग इनको उछालती है और फिर अन्दर की तरफ़ खेंचती है।
📙 *(बुखारी शरीफ जिल्द 1, पेज 185)*

✍🏻 आज दुनिया ने ज़िना जैसी कबीह चीज़ को मामूली चीज़ समझकर नज़र अन्दाज़ करना शरू कर दिया है। गोया कि यह उनकी निगाह में कोई बुरी बात नहीं। हालांकि अहादीसे करीमा से साफ पता चलता है कि ज़िना से बढ़कर कोई गुनाह नहीं और ज़िना ग़ज़बे इलाही को दावत देता है। ज़रूरी बात यह है कि ज़ानी ज़िना के वक़्त मोमिन नहीं रहता।

✍🏻 *हदीस :- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः* “जब कोई शख्स ज़िना करता है तो ईमान उससे निकलकर उसके सर पर साये की तरह ज़मीनो आसमान के दरमियान मुअल्लक हो जाता है।”
📙 *(मिशकात शरीफ पेज 18)*

✍🏻 *हदीसः- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमायाः* ‘अल्लाह के नज़दीक नुत्फे को हराम कारी में सर्फ करने से बड़ा कोई गुनाह नहीं।”
*📙 (मुकाशिफतुल कुलूब पेज 168)*

*✍🏻 हदीसः- हज़रत अबु हुरेरह रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि उन्होंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलेहि वसल्लम को फ़रमाते सुनाः* “जो औरत किसी कोम में उसको दाखिल करे जो उस कोम से न हो (यानी ज़िना कराए और उससे औलाद हुई) तो उसे अल्लाह की रहमत का हिस्सा नहीं और उसे जन्नत में दाखिल न फ़रमाएगा।”
*📙 (नसाई जिल्द 2, पेज 94)*
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*शेअर करके सद्का ऐ जारिया रवां करने में हिस्सेदार बनें*
*दुआओं 🤲🏻 में याद रखियेगा*

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