मौला अली अ०स० और ज़ुल्फ़िक़ार..
एक दफा मौला अली कहीं बैठें थें, तो एक सहाबी मौला के पास आके अर्ज़ करने लगे,
मौला मैंने सुना है कि आपकी जो तलवार है “ज़ुल्फ़िकार” ये पहाड़ को भी चीर देती है!
क्या ये बात सही है?
मौला अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया,
हाँ सही है।
सहाबी ने कहा मौला आप अपनी तलवार कुछ वक़्त के लिये मुझे देंगे मैं आज़मा कर देखना चाहता हूँ।
मौला अली अलैहिस्सलाम ने उसे अपनी तलवार दे दिया।
उस सहाबी ने तलवार को अपने हाथ में ले कर अपनी पूरी ताकत लगा के दीवार पे मारा पर दीवार को कुछ भी नही हुआ।
तो उस ने मौला से कहा कि आप तो कह रहें थें कि पहाड़ को भी चीर सकती है पर यहां तो दीवार भी नही चीर सकी।।
मौला ने मुस्कुराते हुए फरमाया,
मैंने तुम्हें अपनी तलवार दी है अपना हाथ नही, ज़ुल्फ़िकार तभी ज़ुल्फ़िकार है जब ज़ुल्फ़िकार अली के हाथ में हो वरना ये सिर्फ एक लोहे का टुकड़ा है और कुछ नही।⚔️⚔️⚔️❣️❣️❣️
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#__दुश्मन_का_ज़ोर_बढ़_चला_है_या_अली__मदद
⚔️ #_ज़ुल्फ़िक़ार__हैदरी_फ़िर_बे__नियाम__हो ⚔️