✔ अमीरूल मोमिनीन सैय्यदना मौला अली ✔
✔ हज़रत हुज़ैफा यमनी रदिअल्लाहो अन्हो से रिवायत है के हुज़ूर नबी ए अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अगर लोगों को ये मालूम होता के ” अली ” का नाम ” अमीरुल मोमिनीन ” कब रखा गया तो हरगिज़ ” अली ” की फ़ज़ीलत का इंकार ना करते ” अली ” का नाम उस वक़्त ” अमीरुल मोमिनीन ” रखा गया के जब ” आदम अलैहिस्सलाम ” रूह और जिस्म के दरमियान थे उस वक़्त अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अरवाह को मुख़ातिब कर के फ़रमाया : मैं तुम्हारा रब हूँ और मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम) तुम्हारे नबी हैं और ” अली ” तुम्हारे ” अमीर ” हैं
✔ हवाला :- क़ुतुब ए अहलेसुन्नत :- मुसन्द अल – फिरदौस जिल्द 2 पेज 197 हदीस नंबर 5104 बाब अल- लाम
मुसन्निफ़:- इमाम दैल्मी ✔