शौहर से मोहब्बत का इजहार जरूरी है

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अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम को बनाने के बाद उनकी तन्हाई दूर करने के लिए माई हव्वा को आदम ( अलै . ) की पसली से बनाया जहाँ दिल होता है, औरत आदमी का ही अक्स है, और पसली की हड्डी से पैदा किया गया है, इसलिए थोड़ी टेड़ी है, प्यार से समझ जायेगी जबरदस्ती करने से टूट जायेगी. अल्लाह ने औरत और मर्द को इसलिए बनाया कि वो आपस में सुकून की जिंदगी हासिल कर सके. मियां-बीवी के झगड़े की एक वजह यह भी बनती है, कि एक दूसरे से मोहब्बत का इजहार नही करते. एक हिकायत में बताया गया है कि एक बहुत ही गरीब घर की लड़की थी, बड़ी मुश्किल से गुजारा चलता था, अच्छे कपड़े, खाना, जेवर कभी नसीब नही हुआ था. पर वो बेहद हसीन थी. एक बार बहुत रईस शख्स की उसपर नजर पड़ी, उसने उसके घर पैगाम भिजवाया के निकाह करना चाहता है. लड़की के वालिद ख़ुशी-ख़ुशी राजी हो गये. निकाह के बाद वो रईस के घर आई, बड़े नाज से उसने उसे रखा. हर छोटी-बड़ी ख्वाहिश पूरी की, उसकी खुशियों का पूरा-पूरा ध्यान रखा,दुनिया की हर चीज आज उसके कदमो में थी, और बांदिओ के बीच शहजादी की तरह जिंदगी बसर कर रही थी.
पर उसके अंदर तकबुर आ गया. वो हमेशा अपने हुस्न के अकड़ में रहती, शौहर को देखकर मुंह बनाती फिरती, सोचती ये तो मेरा दीवाना है, जो कहूँगी मानेगा. हमेशा चढ़ी भँवों को देखकर, शौहर ने पूछा, क्या बात है, तुम मुझसे खुश नही, तुम्हे यहाँ किसी चीज की कमी है, क्या मेरा साथ पसन्द नही या फिर तुम मुझसे प्यार-मोहब्बत नही करती ? उस लड़की ने अकड़ में कह दिया, हाँ, मैं तुमसे प्यार नही करती, मुझे तुमसे मोहब्बत नही.

बस फिर क्या था शौहर नाराज हो गया, कहा कि जब मुझसे मोहब्बत नही, हमारे साथ रहने का कोई मतलब नही, जाओ मैं तुम्हे अपनी तरफ से आजाद करता हूँ, वह बहुत रोई, गिड़गिड़ाई पर उसने एक न सुनी और उसके वालिद के घर पहुँचा दिया. अब वो औरत क्यूँकि इतने बड़े रईस की तलाकशुदा थी कोई मामूली शख्स से निकाह नही करना चाहती थी, और तलाकशुदा होने की वजह से कोई कुंवारा उससे निकाह के लिए राजी न था, फिर उसकी जिंदगी यूँही ठोकरों में सिमट कर रह गई.

इसलिए अगर शौहर अपनी मोहब्बत का इजहार करे तो बीवी को चाहिए, बढ़ चढ़कर जवाद दे. मियां-बीवी के बीच भरोसा, अपनापन, एक-दूसरे के लिए आपसी समझ जरूरी है. हर चीज का एक वक़्त होता है, रिश्ता तोड़ने और किसी और से निकाह करने बजाए अगर हम उसी शख्स को बेहतर करने की कोशिश करें तो क्या ही बेहतर हो, क्योंकि कोई शख्स बुरा नही, उसकी आदत उसकी सोच बुरी होती है. हो सकता है ये मेरी बात तमाम बहनो को बुरी लगे मगर “तलाक” अल्लाह के नजदीक सबसे नापसंदीदा लफ्ज है, हम सब इससे दूर रहे यही बेहतर है. अल्लाह हमारी इस्लाह फरमाए.

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