ईरान प्राचीन काल से ही ज्ञान व सभ्यता का पालना रहा है और आज संसार की सभ्यता बड़ी हद तक विभिन्न कालों में ईरान की उपलब्धियों की ऋणी है।
यद्यपि ये उपलब्धियां ईरान के पूरे इतिहास में बड़े उतार चढ़ाव के बाद अर्जित की गई हैं लेकिन इस्लामी क्रांति की सफलता और इराक़ द्वारा थोपे गए युद्ध का अंत, ईरान में ज्ञान-विज्ञान की प्रगति में एक नया मोड़ साबित हुआ। इस्लामी गतणंत्र ईरान में ज्ञान व ज्ञान प्राप्ति को दिए जाने वाले महत्व के दृष्टिगत, देश में एक सप्ताह का नाम “शिक्षक सप्ताह” रखा गया ताकि ईरान में ज्ञान-विज्ञान के शिक्षकों, गुरुओं और सेवकों को सम्मानित करने का उचित अवसर उपलब्ध हो सके। ये वे लोग हैं जो राष्ट्र के मार्गदर्शन के लिए बलिदान देते हैं, दिए की तरह ख़ुद जलते हैं लेकिन घर को रौशन कर देते हैं।
ईरान के लोग अपनी धार्मिक व सांस्कृतिक शिक्षाओं के आधार पर ज्ञानियों व बुद्धिजीवियों का बहुत अधिक सम्मान करते हैं और उनके मूल्य को समझते हैं क्योंकि उनका मानना है कि लोक-परलोक में मनुष्य की भलाई और कल्याण, शिक्षकों और समाज के आध्यात्मिक नेताओं के हाथ में है। इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इसी सोच के आधार पर हालिया बरसों ज्ञान-विज्ञान के मैदान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान योग्य सफलताएं और उपलब्धियां अर्जित की हैं और विज्ञान की पैदावार में अपनी वैश्विक पोज़ीशन बेहतर बनाई है। इस कार्यक्रम श्रंखला में हम कोशिश करेंगे कि ईरान की इन महान वैज्ञानिक उपलब्धियों से किसी हद तक आपको अवगत कराएं।
इस्लामी गणतंत्र ईरान उन देशों में से है जिन्होंने साम्राज्यवादी सरकारों के कड़े और पुराने प्रतिबंधों के बावजूद पिछले दो दशकों में अनुसंधान और विज्ञान के अधिकांश क्षेत्रों में अत्यधिक प्रगति की है। उदाहरण स्वरूप इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले ईरान के विश्व विद्यालयों में पढ़ने-पढ़ाने वालों की संख्या एक लाख थी जबकि अब ये संख्या चालीस लाख से ज़्यादा है। दूसरे शब्दों में पिछले चार दशकों में ईरान की जनसंख्या लगभग तीन गुना बढ़ी है और तीन करोड़ से आठ करोड़ तक पहुंच गई है लेकिन विश्व विद्यालय के लोगों की संख्या में चालीस गुना की वृद्धि हुई है।
ध्यान योग्य बात यह है कि ईरान में विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में प्रगति और विकास सामाजिक न्याय के आधार पर हुआ है। उदाहरण स्वरूप शैक्षणिक संभावनाओं से लाभान्वित होने में लैंगिक न्याय का पालन करने के कारण इस समय ईरान में विश्व विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने वालों की आधी संख्या छात्राओं की है। इसी तरह सुदूर और वंचित क्षेत्रों को दृष्टिगत रखने के कारण देश के सभी वर्ग शैक्षणिक संभावनाओं से लाभ उठा रहे हैं और उच्च स्तरीय शिक्षा की प्राप्ति के लिए उनके मार्ग में कोई बाधा नहीं है।
संसार में वैज्ञानिक प्रगति को आंकने वाले विश्वस्त केंद्रों की रिपोर्टों के अनुसार ईरान पिछले दो दशकों में ज्ञान के उत्पादन के मामले में संसार के अग्रणी देशों में रहा है। टामसन रोएटर्ज़ पोर्टल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 में वैज्ञानिक उत्पादों के संबंध में ईरान की प्रगति में पिछले साल की तुलना में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2016 में ईरानी वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता पूरे संसार के वैज्ञानिक लेखों के एक दशमलव चार प्रतिशत भाग का उत्पादन करने में सफल रहे।
इन्हीं रिपोर्टों के अनुसार पिछले 16 बरसों में संसार में विज्ञान के उत्पादन में ईरान की भागीदारी में 18 गुना की वृद्धि हुई है। ईरान के विज्ञान, अनुसंधान व तकनीक उप मंत्री डाक्टर वहीद अहमद के अनुसार स्कोपोस वेबसाइट के हवाले से, जिसने वर्ष 2014 में संसार के बीस देशों की वैज्ञानिक प्रगति के प्रतिशत की घोषणा की है, तेज़ वैज्ञानिक प्रगति की दृष्टि से ईरान का स्थान तीसरा है। इसी तरह संसार की बेहतर यूनीवर्सिटियों के मामले में ईरान 23वें पायदान पर पहुंच गया है जो उससे पहले के बरसों की तुलना में और इसी तरह विकसित देशों की तुलना में बहुत अच्छा स्थान है और पिछले कुछ देशों में ईरान के विश्व विद्यालयों में वैज्ञानिक प्रगति के स्तर को दर्शाता है।
इस्लामी क्रांति की सफलता, इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था की स्थापना और सद्दाम की ओर से थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध की समाप्ति के बाद के वर्षों में ईरान ने ध्यान योग्य वैज्ञानिक प्रगति की है। इस्लामी क्रांति की सफलता से जुड़े हुए वर्षों में और राजशाही शासन के काल में विभिन्न मैदानों विशेष कर उच्च शिक्षा के विभाग में ईरान में बहुत अधिक पिछड़ापन था और शिक्षित एवं विशेषज्ञ मानव बल की कमी का पूरी तरह से आभास हो रहा था। उदाहरण स्वरूप इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले के बरसों में वैज्ञानिक आधार की कमज़ोरी के कारण, ईरान में नई शासन व्यवस्था लागू होने के बाद भी कई बरस तक ईरान के शहरों में भारत और पाकिस्तान जैसे तीसरी दुनिया के कई देशों के डाक्टर, चिकित्सा और उपचार का काम कर रहे थे।
ईरान की जनता और अधिकारियों के प्रयासों से क्रांति की सफलता के बाद पहले ही दशक में इस प्रकार की कमियों का बड़ा भाग दूर हो गया और ईरान, अनेक क्षेत्रों विशेष कर चिकित्सा व इंजीनियरिंग में आत्म निर्भर हो गया। इस समय नैनो टेक्नालोजी, स्टेम सेल्ज़ टेक्नालोजी, परमाणु तकनीक, एरोस्पेस और औषधि विज्ञान में ईरान अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आगे बढ़ रहा है और संसार में उसका उच्च स्थान है।
उदाहरण स्वरूप स्टेम सेल्ज़ की तकनीक और अनुसंधान के क्षेत्र में ईरान हालिया बरसों में संसार के दस बड़े देशों में शामिल हो चुका है। ईरानी विशेषज्ञ, स्टेम सेल्ज़ को मस्तिष्क व हड्डियों के प्रत्यारोपण और हृदय की ख़राब हो चुकी कोशिकाओं को बदलने के लिए इस्तेमाल करने में सफल हुए हैं। ईरान के एक अहम अनुसंधान केंद्र रोयान इंस्टीट्यूट में विशेषज्ञ स्टेम सेल्ज़ से कार्निया के प्रत्यारोपण, कैंसर के उपचार, अस्थी कोशिकाओं को बदलने, रीढ़ की हड्डी की चोटों के उपचार और क्लोनिंग इत्यादि में लाभ उठाने में सफल रहे हैं। इस समय भ्रूण के स्टेम सेल्ज़ और क्लोनिंग का ज्ञान ईरान में स्वदेशी हो चुका है और बकरी, भेड़ और बछड़े की क्लोनिंग करके ईरान संसार में स्टेम सेल्ज़ के मैदान में सबसे बड़े देशों में से एक बन चुका है।
परमाणु तकनीक और एरोस्पेस भी उन क्षेत्रों में से हैं जिनमें ईरान ने स्वदेशी तकनीक व विज्ञान और अपने विशेषज्ञों की क्षमताओं के सहारे अपने आपको इन क्षेत्रों के अग्रणी देशों तक पहुंचा दिया है। यह प्रगति ऐसी स्थिति में प्राप्त हुई है कि जब परमाणु तकनीक के मैदान में ईरान पर पिछले 15 बरसों में अत्यंत कड़े प्रतिबंध लगाए गए और उस पर बहुत अधिक दबाव डाला गया। इसके साथ ही अनेक पश्चिमी देशों ने ईरान की प्रगति के मार्ग में रोड़े अटकाए। ईरान के युवा वैज्ञानिकों ने आत्मविश्वास के साथ देश में परमाणु तकनीक को स्वदेशी बना लिया और पश्चिमी देशों द्वारा डाली जा रही रुकावटों को पार कर लिया। इसी तरह एरोस्पेस के क्षेत्र में ईरान संसार के उन 9 देशों में शामिल हो गया है जिनके पास संपूर्ण उपग्रह तकनीक है। चार साल पहले ईरान के 13 वैज्ञानिकों ने एक जीव को अंतरिक्ष में भेज कर और इसी तरह कई उपग्रह प्रक्षेपित करके अंतरिक्ष में इंसान को भेजने के मार्ग में एक बड़ा क़दम उठाया।
जो कुछ कहा गया वह इस वास्तविकता को दर्शाता है कि ईरान ने इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था की स्थापना की बरकत से विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में महा सफलताएं व उपलब्धियां अर्जित की हैं। यह प्रगति, जो कई क्षेत्रों में तो आश्चर्यचकित करने वाली है, इस कारण संभव हुई है कि इस्लामी क्रांति का आधार, इस्लाम धर्म और समृद्ध ईरानी सभ्यता है जिसमें ज्ञान व ज्ञानी का स्थान अत्यंत उच्च है। ज्ञान-विज्ञान का स्तर ऊंचा उठाने के लिए इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था की उचित नीतियों ने देश में साक्षरता दर को अत्यधिक वृद्धि, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्रों में ईरान की आत्म निर्भरता और संसार के विभिन्न देशों के साथ सकारात्मक व शक्तिशाली सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया है।
ईरान अपने वैज्ञानिक आधारों के चलते आज मध्यपूर्व के अशांत क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली और शांत व सुरक्षित देश में परिवर्तित हो चुका है। ईरान ने अपने इसी ज्ञान के भरोसे गौरवपूर्ण इस्लामी व ईरानी सभ्यता के काल को बहाल करने के मार्ग पर क़दम बढ़ाया है और उसे आशा है कि वह अन्य इस्लामी देशों के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि मानव इतिहास में एक अन्य सुनहरा पन्ना जुड़ जाए।