हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की तारीख़े विलादत (जन्म दिवस) के मौक़े पर हम दुनिया के तमाम मुसलमानों को ख़ुसूसन आपके चाहने वालों को मुबारक बाद पेश करते हुए आपका संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं।
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम का ज़िन्दगी नामा (जीवन परिचय)
वालदैन (माता पिता)
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के वालिद(पिता) हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम तथा आपकी वालिदा(माता) हज़रत फ़ातिमा ज़हरा अलैहस्सलाम थीं। आप अपने वालिदा(माता) वालिद(पिता) की प्रथम संतान थे।
तारीख व जाये पैदाइश (जन्म तिथि व जन्म स्थान)
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम का जन्म सन् तीन ( 3) हिजरी में रमज़ान मास की चौदहवीं ( 14) तारीख को मदीना नामक शहर में हुआ था। जलालुद्दीन नामक इतिहासकार अपनी किताब तारीख़ुल खुलफ़ा में लिखता है कि आपकी सूरत हज़रत पैगम्बर (स.) से बहुत अधिक मिलती थी।
परवरिश (पालन पोषण)
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम का पालन पोषन आपके माता पिता व आपके नाना हज़रत पैगम्बर ( स 0) की देख रेख में हुआ। तथा इन तीनो महान् व्यक्तियों ने मिल कर हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम में मानवता के समस्त गुणों को विकसित किया।
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की इमामत का समय
जब आपने इमामत के पवित्र पद को ग्रहन किया तो चारो और अराजकता फैली हुई थी। व इसका कारण आपके वालिद(पिता) की आकस्मिक शहादत थी। अतः माविया ने जो कि शाम नामक प्रान्त का गवर्नर था इस स्थिति से लाभ उठाकर विद्रोह कर दिया।
इमाम हसन अलैहिस्सलाम के सहयोगियों ने आप के साथ विश्वासघात किया उन्होने धन , दौलत , पद व सुविधाओं के लालच में माविया से साँठ गाँठ करली। इस स्थिति में इमाम हसन अलैहिस्सलाम के सम्मुख दो मार्ग थे एक तो यह कि शत्रु के साथ युद्ध करते हुए अपनी सेना के साथ शहीद हो जायें। या दूसरे यह कि वह अपने सच्चे मित्रों व सेना को क़त्ल होने से बचा लें व शत्रु से संधि कर लें ।
संधि की शर्तें
1- माविया को इस शर्त पर सत्ता हस्तान्त्रित की जाती है कि वह अल्लाह की किताब (कुऑन ) पैगम्बर व उनके नेक उत्तराधिकारियों की सीरत (शैली) के अनुसार कार्य करेगा।
2- माविया के बाद सत्ता इमाम हसन अलैहिस्सलाम की ओर हस्तान्त्रित होगी व इमाम हसन अलैहिस्सलाम के न होने की अवस्था में सत्ता इमाम हुसैन को सौंपी जायेगी। माविया को यह अधिकार नहीं है कि वह अपने बाद किसी अन्य को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करे।
3- नमाज़े जुमा में इमाम अली पर होने वाला सब (अप शब्द कहना) समाप्त किया जाये। तथा हज़रत अली (अ.) को अच्छाई के साथ याद किया जाये।
4- कूफ़े के धन कोष में मौजूद धन राशी पर माविया का कोई अधिकार न होगा।
5- अल्लाह की पृथ्वी पर मानवता को सुरक्षा प्रदान की जाये चाहे वह शाम में रहते हों या यमन मे हिजाज़ में रहते हों या इराक़ में काले हों या गोरे। माविया को चाहिए कि वह किसी भी व्यक्ति को उस के पिछले व्यवहार के कारण सज़ा न दे। इराक़ वासियों से शत्रुता पूर्ण व्यवहार न करे। हज़रत अली के समस्त सहयोगियों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाये। इमाम हसन अलैहिस्सलाम , इमाम हुसैन व पैगम्बर के परिवार के किसी भी सदस्य की खुले आम या छुप कर बुराई न की जाये।
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के संधि प्रस्ताव ने माविया के चेहरे पर पड़ी नक़ाब को उलट दिया तथा लोगों को उसके असली चेहरे से परिचित कराया कि माविया का वास्तविक चरित्र क्या है।
[ WILADAT ” IMAM HASAN A.S. 15 RAMZAN ‘MUBARAK
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[ ZIQR – E- HASAN – ”IBADAT -E – ”PARWAR DIGAAR HAI ” ]
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[ ‘KOULE -RASOOLE – PAK -SE -YE- ”AASHKAAR” – HAI ”]
[ ‘ZIQRE -HASAN ‘- IBADATE ”- ‘PARWAR DIGAAR ‘-HAI’]
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{ JIS- SHAKS – KA -GULAME – HASAN – ME SHUMAR – HAI ‘]
{ US – SHAKS – KI – NEJAT – KA – ”HAQ – JIMMEDAR – HAI ‘]
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{ MADHE – HASAN – ‘-ASAL – ME – HAI ‘-MIDHAT -RASOOL -KI]
{ MADHE -RASOOL ‘- MIDHATE ‘- PARWAR DIGAAR – HAI “”””]
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{ JUNGE – ‘HUSSAIN ‘ – JIS – TARAH – DEE- KI -HAI – AABROO’]
{ ‘SULHE -HASAN ‘- USI -TARAH ‘- DEE- KA – WEQAR ‘- HAI ‘]]
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‘ZULFE – NAHI – HAI – DASTE – ‘ HASAN ‘- AUR – HUSSAIN -ME]
‘ HATHON -ME ‘- INKE – DEENE – KHUDA ‘- KI – MEHAR ‘- HAI ‘]
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[ USKI – BULANDIYO – PE ‘ -FALAK – KYON -NA HO -NISAR ‘]
[ ‘ DOSHE ‘ -RASOOLE – PAK – KA- JO -SHEH SAWAR ‘-HAI”]
**************[6} ********************
NAZIL – NA – KYO -HO – ISKE – TASADUUK – ME – RAHMATEIN]
JISKA – VAJOOD ‘- ‘RAHMATE – ‘ PARWAR -DIGAAR – HAI ””’]
***************[7]*****************
HAM – KYON – NA – JANASHINE ‘ – ‘ MOHMMED ”- KAHE-ISE ”]
HAR – WASF – ME ”- NABI -KA ”- JO – AAINA DAAR ”- HAI ”””]
************{8} *******************
[ ‘ BATIL -KA -KAT – GAYA – HAI -GALA – TERI SULAH -SE ‘]
[ ‘ MOULA – YE – TERI – SULAH – HAI ‘-YA -ZULFEQAR -HAI ‘]
*************[9]*********************
[ ‘ VO – JISKE – DIL – ME -ISKI – WILA – BARKARAR ‘- HAI ”]
[ ‘ US – SHAKS – PAR – INAYAT E PARWAR -DIGAAR -HAI ”]
Name: Hasan (AS) – the 2nd Holy Imam
Title: al-Mujtaba
Agnomen: Abul-Mohammad
Father: Imam Ali (AS) – the 1st Holy Imam
Mother: Hazrat Fatima Az-Zahra (SA) bint-e-Mohammad Rasool-Allah(pbuh&hf)
Birth: At Madina on 15th of Ramzan 3 AH (624 AD)
Shahadat (Death): In Madina at age 47, on 28th of Safar 50 AH (670 AD)
Cause of Death/ Burial: Martyred by means of poison and buried in the cemetery of Baqi in Madina.
Wiladat (Birth) :
Huzur Sallallahu Alaihi WaAalehi Wasallam Imam Hasan Aur Imam Hussain Ke Baare Me Yu Dua Farmayi..
“Aye Allah ! Mai Inse Muhabbat Rakhta Hu Tu Bhi Inse Muhabbat Farma Aur Jo Inse Muhabbat Rakkhe Usse Bhi Tu Muhabbat Farma.
-[ShavahidunNabuwwat Page : 300]
-[Tohfa E Najat Volume : 11 Page : 178, 215 ]
Shaan Sehzad e Ali e Murtuza va Fatima Zehra Sarkar Saiyed Imam e Hasan R.A
Huzoor Sarwar e Kaunain ﷺ irshad farmate hain…
▶ Ibne Abbas riwayat farmate hai Ek bar RasulAllah ﷺ Imam e Hasan رضي الله عنه ko apne kandhe par bithaae huwe the, Kisi sahabi ne kaha aye Sahabzaade aapki Sawaari Bahot acchi hai to Aaqa ﷺ ne farmaya Sawaar bhi to accha hai.
▶ Imam e Hasan رضي الله عنه ne begair sawaari ke chal kar 25 hajj kiye jabh ke behtareen nasl ke ouñth (camel) aap ke saath hote the lekin aap un par sawaar nahi hote the aur paidal chalkar hajj karte the.
▶ Imam Hasan رضي الله عنه sakhawat (khairaat) karne mein be misaal the kabhi aisa bhi huwa ke ek ek aadmi ko ek ek laakh dirham ata farma dete the.
▶ Imam e Hasan رضي الله عنه ne 3 baar aadha aadha maal khuda ki raah mein dediya aur 2 baar apna poora maal Allah ﷻ ke raaste mein kharch kar diya.
#Taareekh ul Khulfa.
Bitha Kar Shaanae Aqdas Pe Kardi Shaan Do Baala ,Nabi ﷺ Ke Laadloñ Par Har Fazeelat Naaz Karti Hai.
Aapka urs e paak 28 Safar ko hai.